तापमान बढऩे पर कम नंबर लाते हैं स्टूडेंट्स

गर्मी और स्टूडेंट्स के रिजल्ट के बीच एक बड़ा कनेक्शन है। हार्वर्ड के वैज्ञानिकों का कहना है कि गर्म मौसम के चलते बच्चों के ग्रेड्स गिर जाते हैं। उन्होंने पाया कि गर्मी के चलते बच्चे स्कूल में पढ़ नहीं पाते और घर पर भी होमवर्क पर कॉन्सनट्रेट नहीं कर पाते।
रिसर्च में पता चला कि 21 डिग्री सेल्सियस के बाद हर 0.55 डिग्री तापमान बढऩे पर बच्चों की समझने की क्षमता 1फीसदी कम होती जाती है। यूएस की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने 13 साल के दौरान करीब 1 करोड़ बच्चों के टेस्ट्स के नंबर देखकर यह नतीजा निकाला। स्टडी में यह सामने आया कि गर्म मौसम की वजह से बच्चे स्कूल में पढ़ नहीं पाते और स्कूल के बाहर भी होमवर्क पर ध्यान नहीं दे पाते। शोधकर्ताओं का कहना है कि स्कूलों में क्लासरूम का तापमान ठंडा रखने के लिए एयर कंडिशनिंग बेहद जरूरी है। ठंडे दिनों में बच्चों के अचीवमेंट्स पर फर्क नहीं पड़ता। हालांकि 32 डिग्री सेल्सियस और इससे ऊपर 38 डिग्री तक पहुंचते ही बच्चों की समझने की क्षमता तेजी से घटने लगती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आंकड़ों में सामने आया कि जिस साल मौसम गर्म रहा उस साल बच्चों के नंबर कम आए वहीं कम तापमान वाले साल बच्चों के नंबर अच्छे रहे। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह बात कई अलग तरह के मौसम पर लागू होती है, चाहे वे ठंडे नॉर्थ यूएस के राज्य हों या साउथ स्टेट्स जहां तापमान काफी ऊंचा रहता है। यह अपने आप में पहला ऐसा शोध है जो साफ सुबूत देता है कि तापमान के बढऩे पर बच्चों का प्रदर्शन घट जाता है। हार्वर्ड केनेडी स्कूल के असोसिएट प्रफेसर गुडमैन ने बताया कि गर्मी की वजह से स्टूडेंट्स डिस्ट्रैक्ट और परेशान हो जाते हैं लिहाजा पढ़ाई पर फोकस करना मुश्किल होता है।

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